लेखिका: मनीषा जाजू
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर,1869 को पोरबंदर काठियावाड़ (गुजरात)में हुआ था। इनके राजनैतिक जीवन का आरंभ दक्षिणी अफ्रीका से हुआ।गांधीजी ने दक्षिणी अफ्रीका की गोरी सरकार को रंग-भेद की नीति के विरुद्ध अहिंसात्मक आंदोलन द्वारा झुकने पर बाध्य कर दिया। भारत लौटने पर उन्होंने उसी शस्त्र का ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध प्रयोग किया।अभी तक भारत में स्वतंत्रता हेतु विविध क्षेत्रों से अलग-अलग प्रयास किये जा रहे थे।सारे भारत का कोई सर्वमान्य संगठन नहीं था।
लोकमान्य तिलक ने राजनीति से सन्यास लेकर कांग्रेस का दायित्व महात्मा गांधी को सौप दिया। इसके बाद उन्होंने 1920 में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध अहिंसात्मक आंदोलन की बागडोर संभाल ली।स्वदेशी अपनाने पर जोर देते हुए उन्होंने असहयोग आंदोलन के माध्यम से ब्रिटिश सरकार की मूलें हिला दी।
सारा देश प्रथम बार एक नेतृत्व के तहत ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध खड़ा हो गया। उनके संकेत पर छात्रों ने स्कूल व कॉलेज छोड़ दिये, वकिलों ने वकालत छोड़ दी।लोगों ने सरकारी नौकरियां छोड़ दी । जो लोग जेलों में जाने से डरते थे अब वह जेल जाना गौरव की बात समझने लगे।1930 के दशक में गांधी जी ने जनता को आवाहन किया कि वह सरकार की गलत नीतियों पर आधारित क़ानूनों को मानने से इंकार के दे। 6 मार्च ,1930 को नमक कानून तोड़ कर, सविनय अवज्ञा आंदोलन का श्री गणेश किया।
महात्मा गांधी ने 1942 में भारतीय कांग्रेस के मंच से अंग्रेजी सम्राज्य को चुनौती दे दी “अंग्रेजों-भारत छोड़ो”।इस घोषणा से ब्रिटिश सरकार ने सारे देश के नेताओं को रातों रात उनके घरों से जगा-जगा कर गिरफ्तार कर लिया।गाँधीजी जनता के नाम पहले ही संदेश छोड़ चुके थे-‘करो या मरो‘।
यह विश्व की सबसे बड़ी जन-क्रान्ति थी।ब्रिटिश सरकार को झुकना पड़ा और देश ने 15 अगस्त,1947 को स्वतंत्रता की सांस ली। गाँधीजी की अहिंसजन्य क्रांति भाषणबाजी तक ही सीमित नहीं थी। उन्होंने असमानता, गरीबी और अत्याचारों के विरुद्ध व्यवहारिक रूप से वैचारिक क्रान्ति का सूत्रपात किया था।
त्याग और बलिदान की भावना ने सामाजिक न्याय और साम्प्रदायिक मैत्री के लिए उनके अथक संघर्ष ने उन्हें ‘शताब्दी पुरूष‘, बना दिया।एक ऐसा शताब्दी पुरूष, जिसे शांति की दृष्टि से बुद्ध, महावीर की परम्परा में गिना जा सकता है।🙏🙏
जय हिन्द 🇮🇳
तथ्यपरक लेख, लेखिका को बधाई