लेखक: मनीषा जाजू
बटुकेश्वर दत्त का जन्म 1908 में कानपुर (उ.प्र) में हुआ था। ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत की राजनैतिक गतिविधियों पर रोक लगाने हेतु असेम्बली में एक बिल पास करना था। क्रांतिवीरों ने इसके विरोध हेतु असेम्बली में ऐसे बम का धमाका करने की योजना बनाई जिससे खलबली मचे पर कोई हताहत न हो। इस कार्य के लिए बटुकेश्वर दत्त ने रामशरण दास को चुना। बटुकेश्वर दत्त कानपुर के दैनिक ‘प्रताप’ में भगतसिंह के साथ काम करते थे।
भगतसिंह को क्रांतिकारी बनाने में बटुकेश्वर दत्त का बहुत बड़ा हाथ था।बाद में सुखदेव की जिद पर राम सरन दास की जगह बटुक के साथ भगतसिंह को बम फेंकने का दायित्व दिया गया। दिनांक 8 अप्रैल 1929 को असेम्बली में पहला बम भगतसिंह ने एवम दूसरा बम बटुकेश्वर दत्त ने फेंका।
इस बम के गाढ़े काले धुआं से लोग घबराहट में इधर उधर भागे। धुआं जब थोड़ा हल्का हुआ तो दोनों ने निर्भयता से नारे लगाये,”इंकलाब…… जिंदाबाद’ व ‘लॉग लिव पोलिट्रेट।’ दोंनो शूरवीरों ने पूर्व योजनानुसार अपने को गिरफ्तार करवा दिया।इन दोनों क्रांतिवीरों की सारे देश मे बड़ी सराहना हुई। घर घर में दोनों के फ़ोटो टाँगने की होड़ लग गई। मुकदमे में बटुक को आजीवन कारावास काटने को काले पानी जेल में भेज दिया गया।जेल में 1933 और 1937 में ऐतिहासिक भूख हड़ताल की। सेक्युलर जेल से 1937 में बाकीपुर केंद्रीय कारागार ,पटना में लाए गए और 1938 में रिहा कर दिए गए।
काले पानी से गम्भीर बीमारी लेकर लौटे दत्त फिर गिरफ्तार कर लिए गए और चार वर्ष बाद 1945 में रिहा किये गए। आज़ादी मिलने पर नवंबर 1945 में अंजली दत्त से विवाह करने के बाद पटना में रहने लगे।बिहार विधानसभा परिषद ने दत्त को अपना सदस्य बनाने का गौरव 1963 में प्राप्त किया। 20 जुलाई 1965 में दिल्ली में उनका निधन हुआ।
इनका दाह संस्कार क्रांतिकारी नेता, भगतसिंह, सुखदेव, और राजगुरु की समाधि स्थल पंजाब के हुसैनी वाला में किया गया। इनके एक पुत्री थी भारती बागची पटना में रहती थी। मातृभूमि के लिए इस तरह का जज्बा रखने वाले नौजवान का इतिहास भारतवर्ष के अलावा किसी भी देश के इतिहास में उपलब्ध नहीं है।
“वन्देमातरम …..भारत माता की जय🙏🙏।”
जय हिन्द 🇮🇳
बहुत ही सुंदर एवं ज्ञानवर्धक लेख, लेखक को साधु वाद
वाह मनीषा जी बटुकेश्वर दत्त जी पर पहली बार जानकारी पाकर अच्छा लगा