प्लेटों की गति के आधार पर तीन प्रकार के प्लेट सीमान्त बनते हैं| यह तीन सीमान्त,
- अपसारी सीमान्त अथवा रचनात्मक सीमान्त,
- अभिसारी सीमान्त अथवा विनाशी सीमान्त एवं
- संरक्षी सीमान्त है|
अभी तक हमने प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के परिचय के बारें में पढ़ा| अब हम प्लेटों की गति एवं गति से निर्मित सीमान्तों के विषय में विस्तृत अध्ययन करेंगे|
प्लेटों की गति एवं गति से निर्मित सीमान्त
अपसारी सीमान्त अथवा रचनात्मक सीमान्त
अपसारी सीमान्त में प्लेटें एक दूसरे से विपरीत देश में गतिशील होती है| इसमें दोनों प्लेटों के मध्य भ्रंश घाटी का निर्माण होता है, जिसके सहारे मैग्मा का प्रवाह पृथ्वी की सतह पर होता हैं|
इससे नवीन भू-पर्पटी का निर्माण होता हैं| मध्य अटलांटिक कटक (Mid Atlantic Ridge) इस गति का सर्वोत्तम उदहारण हैं| जहाँ कटक निर्माण के साथ ज्वालामुखी क्रिया एवं समुद्री नितल प्रसार की क्रिया हो रही हैं|
अभिसारी सीमान्त अथवा विनाशी सीमान्त
अभिसारी गति में दो प्लेटें अभिसरित होकर आपस में टकराती हैं| इस प्रक्रिया में अधिक घनत्व वाली प्लेट काम घनत्व वाली प्लेट के नीचे क्षेपित हो जाती है| अधिक गहराई पर पहुंचने के पश्चात ताप के प्रभाव से प्लाट पिघल जाती हैं|
विश्व के वलित पर्वत, ज्वालामुखी, भूकंप एवं द्वीपीय चाप की व्याख्या इसी गति के द्वारा संभव हैं| यह अभिसरण तीन प्रकार से होता हैं,
- महासागरीय-महाद्वीपीय प्लेट अभिसरण,
- महासागरीय- महासागरीय प्लेट अभिसरण एवं
- महाद्वीपीय-महाद्वीपीय प्लेट अभिसरण|
अभिसारी गति के सन्दर्भ में महत्त्वपूर्ण तथ्य
- अधिक घनत्व वाली प्लेट नीचे क्षेपित होती हैं| तथा काम घनत्व वाली प्लेट सम्पीड़ित होने से वलित हो जाती हैं|
- प्लेटों का क्षेपण लगभग 450 किलोमीटर पर होता है| अधिक गहराई में बेनिऑफ जोन (670 किलोमीटर) में जाकर प्लेटें पिघल जाती हैं|
- जब दो प्लेटें सामान घनत्व की होती है तो मोटी भू-पृष्ठ का निर्माण होता हैं|
अभिसारी गति के मुख्य निर्माण
महाद्वीपीय-महाद्वीपीय प्लेट अभिसरण की स्थिति में अन्तः महाद्वीपीय पर्वतों का निर्माण होता हैं| उदहारण, हिमालय एवं ऐल्प्स पर्वत|
हिमालय पर्वत का निर्माण भारतीय प्लेट तथा यूरेसियन प्लेट के अभिसरण गति के कारण हुआ हैं| मलवों एवं भू-पटल में मोड़ के फलस्वरूप टेथिस सागर का निर्माण हुआ हैं|
अफ्रीकी एवं यूरेसियन प्लेट के अभिसरण के फलस्वरूप ऐल्प्स एवं एटलस पर्वतों का निर्माण हुआ हैं|
रॉकी एवं एंडीज पर्वत का निर्माण महाद्वीपीय-महासागरीय प्लेट अभिसरण के परिणामस्वरूप हुआ हैं|
जब दो महासागरीय प्लेटों में टकराव की स्थिति होती है तो एक प्लेट का अग्रभाग दूसरी प्लेट के नीचे क्षेपित हो जाता है| इस प्रक्रिया से उत्पन्न संपीडन से द्वीपीय तोरण एवं द्वीपीय चाप का निर्माण होता हैं|
जापान द्वीप एवं चाप का निर्माण इसी गति के फलस्वरूप हुआ हैं| इस गति में क्षेपित प्लेट अधिक गहराई में जाकर पिघलती है, जिससे ज्वालामुखी क्रियाएं एवं ज्वालामुखी पर्वतों का निर्माण होता हैं|
संरक्षी सीमान्त
संरक्षी गति में प्लेटें एक-दुसरे के साथ क्षैतिज दिशा में प्रवाहित होती हैं| इस प्रक्रिया में न तो नए क्रस्ट का निर्माण होता हैं और न ही विनाश| प्लेटों के घर्षण के कारण इन क्षेत्रों में भूकंप उत्पन्न होता हैं| सेन एंड्रीआस भ्रंश का निर्माण इसी गति के कारण हुआ हैं|
तो यह था प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत का वर्णन| आगे आने वाली ब्लॉग पोस्ट में हम महासागरीय-विस्थापन सिद्धांत का अध्ययन करेंगे|
धन्यवाद एवं शुभेच्छा| 😊
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