महाद्वीपीय-विस्थापन सिद्धांत

महाद्वीपीय-विस्थापन सिद्धांत!! आखिरी ब्लॉग पोस्ट में हमने पढ़ा था प्लेट विवर्तनिकी के सिद्धांत के बारें में| इस ब्लॉग पोस्ट में हम पढ़ेंगे महाद्वीपीय-विस्थापन सिद्धांत के विषय में|

महाद्वीपीय-विस्थापन सिद्धांत: प्रो. अल्फ्रेड वेगेनर

प्रो. अल्फ्रेड वेगेनर जर्मनी के एक प्रसिद्द भूगर्भ शास्त्री थे| वेगेनर ने 1912 में महाद्वीपीय प्रवाह को सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया था| इस सिद्धांत की विस्तृत विवेचना 1915 में की गई|
वेगेनर के अनुसार कार्बोनिफेरस युग में संसार के सभी महादेश एक साथ एकत्रित थे और एक स्थलखंड के रूप में विद्यमान थे| वेगेनर ने इसे पैन्जिया कहा|

पैन्जिया में विभाजन कार्बोनिफेरस युग में प्रारम्भ हुआ और महाद्वीपों का वर्तमान स्वरुप पैन्जिया के विखंडन तथा विखंडित हुए स्थलखंडों के प्रवाहित होकर अलग होने के फलस्वरूप हुआ|

वेगेनर के अनुसार पैन्जिया चरों तरफ से जल से घिरा हुआ था, जिसे उन्होंने पैंथलासा कहा| उनके अनुसार महाद्वीपीय ठोस भाग सियाल तथा महासागरीय भू-भाग सीमा का बना हुआ है| उन्होंने ही यह कहा था,

सियाल (SiAl), सिमा (SiMa) पर तैर रहा है|

SiAl is floating on SiMa- Prof Alfred Wegener
महाद्वीपीय-विस्थापन सिद्धांत
महाद्वीपीय-विस्थापन सिद्धांत

महाद्वीपीय-विस्थापन सिद्धांत से सम्बंधित मुख्य बिंदु

  • पैन्जिया का विखंडन और प्रवाह मुख्यतः गुरुत्वाकर्षण बल की असमानताओं के कारण हुआ है|
  • वेगेनर के अनुसार जब पैन्जिया में विभाजन हुआ तब दो दिशाओं में प्रवाह हुआ| उत्तर अथवा विषुवत रेखा की ओर तथा पश्चिम दिशा की ओर|
  • विषुवत रेखा की ओर प्रवाह गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) तथा प्लवनशीलता के बल (Force of Bouyancy) के कारण हुआ|
  • पश्चिम की ओर प्रवाह सूर्य एवं चन्द्रमा के ज्वारीय बल (Tidal Force) के कारण हुआ|

पैन्जिया के विखंडन एवं महाद्वीपों का निर्माण

पैन्जिया का गुरुत्व बल एवं प्लवनशीलता (Force of Bouyancy) केवल के कारण दो भागों में विखंडन हुआ| उत्तरी भाग लॉरेसिआ या अंगारालैंड तथा दक्षिणी भाग गोंडवानालैंड कहलाया| विखंडन के कारण इन दोनों के मध्य का भाग टेथिस सागर के रूप में बदल गया|
इसके पश्चात जुरैसिक काल में गोंडवानालैंड का विभाजन ज्वारीय बल के कारण हुआ| इसके कारण प्रायद्वीपीय भारत, मेडागास्कर, ऑस्ट्रेलिया तथा अंटार्टिका गोंडवानालैंड से अलग होकर प्रवाहित हो गए| इसी समय उत्तरी एवं दक्षिण अमेरिका ज्वारीय बल (Tidal Force) के कारण पश्चिम की ओर प्रवाहित हो गए|

कुछ अन्य निर्माण संरचनाएं

पश्चिम दिशा में प्रवाहित होने के क्रम में सीमा रूकावट के कारण पश्चिम भाग में रॉकी तथा एंडीज पर्वतों का निर्माण हुआ है|
प्रायद्वीपीय भारत के उत्तर की ओर प्रवाहित होने के कारण हिन्द महासागर का निर्माण हुआ| दोनों अमेरिका महाद्वीपों के पश्चिम की ओर प्रवाहित होने के कारण अटलांटिक महासागर का निर्माण हुआ|
आर्कटिक महासागर तथा उत्तरी ध्रुव महासागर का निर्माण महाद्वीपों के उत्तरी ध्रुव से हटने के फलस्वरूप हुआ है|

तो यह था महासागरीय-विस्थापन सिद्धांत का वर्णन| आगे आने वाली ब्लॉग पोस्ट में हम पढ़ेंगे भूगोल से सम्बंधित एक और विषय के बारें में|

धन्यवाद एवं शुभेच्छा| 😊